Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शेर

 
  • ज़माने के झरोखो में मुझे मन्जिल नहीं मिलती..
    मेरी नज़रो की राहे अब नज़र उनकी नहीं तकती..
    मुझे पाने की ख़ातिर जो रोये थे रात-रात भर..
    उन्हें मेरे लिये दो पल की अब फुरसत नहीं मिलती..

     

  • गया सकूं कोई गीत वो आवाज़ ना मिले
    बन सकूं महान वो लिहाज़ ना मिले
    गर कहा हूँ झूठ जो मेहबूब के लिये
    दो लफ्ज़ लिखने को मुझे अल्फ़ाज़ ना मिले

     

  • हम जो तेरे राह की रानाइयो में खो गए..

    सर से लेकर पाव तक अब हम तुम्हारे हो गये..

    रात गुज़री है हमारी करवतो में और तुम..

    ओढ़ कर मोटी रजाई नींद गहरी सो गए..

     

  • एक दिल को अपने दिल का पैगाम आज दिया..
    सांसों को अपने इस तरह कुछ थाम आज लिया..
    मेरी दिल की धड़कने उस समय रुकने ही वाली थी..
    जब मैंने एक गुलाब को गुलाब आज दिया..

 

  • किसी से दिल लगाने को ये दिल तड़पना ना चाहा..
    दिल टूट गया था जब मेरा फिर जुड़ना ना चाहा..
    ना जाने क्यों तेरे आने से मेरा दिल मचल उठा..
    तुझे बिन याद किये ये दिल मेरा धड़कन ना चाहा..

 

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