Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे वजूद को मिट्टी में मिला देता..

 

तेरे वजूद को मिट्टी में मिला देता..

तू दुश्मन होता तो कब्र में सुला देता..

 

कुछ अपनों ने हवाओ से मिलके की साजिस..

वरना.. चरागों को आंधियो में जला देता..

 

ग़र वो समझी होती मेरे जज्बातों को..

ख़ुदा कसम.. उसे पागल बना देता..

 

ग़र आता मेरे जनाज़े में मेरा दोस्त..

ऐ मौत.. मैं तुझको भी ठुकरा देता..

 

 

अभिजीत शर्मा

 

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