Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आगे आओ

 

 

जाति पाँत की बातें छोड़ो
टूट रहे समाज को जोड़ो
गीत प्यार के मिलकर गाओ, आगे आओ।

 

जन-मन में उल्लास जगाकर
आपस का विश्वास जगाकर
दुःखी व्यक्ति का दिल बहलाओ, आगे आओ।

 

उम्मीदों की आशा बनकर
जीवन की अभिलाषा बनकर
सच्चाई का साथ निभाओ, आगे आओ।

 

कल की बातें कल पर छोड़ो
आज से रिश्ते-नाते जोड़ो
जीवन पथ पर कदम बढ़ाओ, आगे आओ।

 

मानवता के मान के लिए
मूल्यों के सम्मान के लिए
समरसता समाज में लाओ, आगे आओ।

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