Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चेहरे

 

 

चेहरे पर हजार चेहरे हैं।
सब के सब उधार चेहरे हैं।
सूरत नज़र नहीं आती अब
इतने तार-तार चेहरे हैं।
गिरगिट जैसा रंग बदलते
जितने चाटुकार चेहरे हैं।
जीवन की आपाधापी में
चेहरे पर सवार चेहरे हैं।
लोकतंत्र की बातें करते
जितने दागदार चेहरे हैं।
इन्हें देखकर डर लगता है
इतने गुनहगार चेहरे हैं।

 

 

 

आचार्य बलवन्त

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