Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चिड़िया

 

मीठी-मीठी, प्यारी-प्यारी, लोरी रोज सुनाये चिड़िया।
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया।
खेतों-खलिहानों में जाकर, दाने चुंगकर लाये चिड़िया।
बैठ घोसले में चूँ-चूँ कर, खाये और खिलाये चिड़िया।

 

 

अपने मधुमय कलरव से प्राणों में अमृत घोले चिड़िया।
अपनी धुन में इस डाली से, उस डाली पर डोले चिड़िया।
अपनी इस अनमोल अदा से, सबका दिल बहलाये चिड़िया।
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया।

 

 

नन्हीं-नन्हीं आँखों से, आँखों की भाषा बोले चिड़िया।
आहिस्ता-आहिस्ता सबके मन के भाव टटोले चिड़िया।
तिनका-तिनका चुन-चुनकर, सपनों का नीड़ सजाये चिड़िया।
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया।

 

 

जीवन की हर कठिनाई को सहज भाव से झेले चिड़िया।
हर आँगन में उछले-कूदे, हर आँगन में खेले चिड़िया।
आपस में मिलजुल कर रहना, हम सबको सिखलाये चिड़िया।
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया।

 

 

जाति-पाँत और ऊँच-नीच का, भेद न मन में लाये चिड़िया।
सारे काम करे निष्ठा से, अपना धर्म निभाये चिड़िया।
उम्मीदों के पर पसारकर, नील गगन में गाये चिड़िया।
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया।

 

 

 

 

आचार्य बलवन्त

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ