जन-जन के आरमान के लिए
जीवन के सम्मान के लिए
आज हमें कुछ करना होगा
कल के हिन्दुस्तान के लिए।
रंग के लिए, रूप के लिए
घर-आँगन की धूप के लिए
बरसों से सूनी-सहमी-सी
बाबा की दालान के लिए।
आज हमें कुछ करना होगा
कल के हिन्दुस्तान के लिए।
नई आस, विश्वास के लिए
जीवन में उल्लास के लिए
काँटों में पलती कलियों के
अधरों की मुस्कान के लिए।
आज हमें कुछ करना होगा
कल के हिन्दुस्तान के लिए।
हर मौसम में हँसते-गाते
उम्मींदों से दिल बहलाते
सुख-समृद्धि की बातें करते
खेत और खलिहान के लिए।
आज हमें कुछ करना होगा
कल के हिन्दुस्तान के लिए।
सबको गले लगाना होगा
मानव धर्म निभाना होगा
गीत राष्ट्र के गाना होगा
राष्ट्रीय स्वर संधान के लिए।
आज हमें कुछ करना होगा
कल के हिन्दुस्तान के लिए।
आचार्य बलवन्त
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