बिना उसके मुझे तो एक पल जीना नहीं आता,
जुदाई कि घडी का दर्द भी सहना नहीं आता.......
नज़र उसकी नज़र से जैसे हि महफ़िल में टकरायी,
न जाने क्यूँ तभी से होश में आना नहीं आता......
जहाँ तक साथ तेरे चल सका मैं तो चलूँगा हीं,
करूँ ता उम्र का वादा ये भरमाना नहीं आता.......
जो कुछ भी पास मेरे है ख़ुदा कि हीं बदौलत है,
हो कितनी कामयाबी, मुझको इतराना नहीं आता.......
यहाँ खामोश दरिया सा सफ़र आदर्श है मेरा,
हों कैसे रास्तें मुझको रुकना नहीं आता .....आदर्श
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