Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चमन हर सिम्त मुझको यहाँ बिखरा दिखायी दे

 

 

चमन हर सिम्त मुझको यहाँ बिखरा दिखायी दे,
जहाँ पर दश्त होते थे वहीँ सहरा दिखायी दे.......


आवाम-ऐ- शहर हरदम चीख कर देती दुहाई थी,
अमीर-ऐ- शहर मुझको तो वहाँ बहरा दिखायी दे.........


गुलों से दुश्मनी क्यूँ कर किसी से हो गयी यारों,
चमन में हर तरफ अब जो यहाँ पहरा दिखायी दे.......आदर्श बाराबंकवी

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