Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दौलत कमा रहे हो मगर भूल ये गए

 

दौलत कमा रहे हो मगर भूल ये गए।
परखे हुए हलाल ज़माने गुज़र गए।

 

मुझपे यकीं करेंगे न जाने वो किस घडी।
हर बात में सवाल ज़माने गुज़र गए।

 

कहता रहा उसे की ज़माने के साथ चल।
बदली न उसने चाल ज़माने गुज़र गए।

 

इतनी बढ़ी हुई है गरानी कि क्या कहूँ।
खाये हुए तो दाल ज़माने गुज़र गए।

 

 


.......आदर्श बाराबंकवी....

 

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