होंठों प हर ख़ुशी को सजाने के बाद भी,
दुश्मन सा है वो हाथ मिलाने के बाद भी.....
ये इंतिहा रही है मेरे इश्क़ की जनाब
मुझको भुला न पाये भुलाने के बाद भी.....
सच बोलने का अब भी है जज़्बा मेरा वही,
डरता नहीं हूँ जीभ कटाने के बाद भी....
हैं प्यार उनको कितना जो आयीं हैं तितलियाँ,
कागज़ के फूल मेरे सजाने के बाद भी.....
Adarsh Gulsia
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