Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जियूं मै देर तलक येअगर ज़रूरी है

 

जियूं मै देर तलक येअगर ज़रूरी है
तिरी दुआ क हो मुझ पे असर ज़रूरी है।

 

 

बुजुर्ग घर के पुराने हैं सायबां कि तरह
भरी दोपहरी में जैसे शज़र जरूरी है।

 

 

न धोखा हो कहीं शीशे में और हीरे में
कि इसके वास्ते काबिल नज़र ज़रूरी है।

 

 

मिले मिले न मिले फल चलो मोहब्बत का
इसी कि राह पे चलना मगर ज़रूरी है।

 

 

ये हमने मान लिया तुम तो हमसे रूठे हो।
हमारे ख्वाबों में आना मगर ज़रूरी है

 

 

न तोड़ डालो मोहब्बत के धागे चुटकी में।
की दुश्मनी में भी कुछ तो कसर ज़रूरी है।..............................

 

 


.......आदर्श बाराबंकवी

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