नफरत से पटे दिलों में मौला मोहब्बत की कोई राह कर,
बंद कर के कारखाने आतंक के,अब उन्हें इबादतगाह कर ...........
खुदा बैठा मिला जो इक शाम माँ के पहलु में,
परस्तिश करूँ पहले किसकी दिल मुझे ये सलाह कर.............
दे के मासूम चेहरा उतारा ख़ुदा ने तुझको जमीं पर,
अब अपने कर्मो से इसे सफ़ेद कर या स्याह कर.........
आदर्श
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