Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यार से देख लें वो अगर एक दिन

 

प्यार से देख लें वो अगर एक दिन,
सब्ज़ हो जाएँ सूखे शज़र एक दिन.....


इश्क छुपते छुपाते किया था मगर
हर तरफ उसकी फैली खबर एक दिन....


राज़ मेरे सभी फाश करता है अब,
था बहुत ही मेरा मोतबर एक दिन....


अमन कि राह में मर गए हम तो क्या,
रंग लाएगा खूने जिगर एक दिन....


हौसलों से करो सामना वक़्त का,
जो हैं कमजोर जाते बिखर एक दिन......


मैं उचकता रहा पंजों पर इसलिए
मुझपे भी होगी उनकी नज़र एक दिन....


दूर आदर्श है,मिलने कि वो घडी,
आओ वादे से तुम पेश्तर एक दिन ...

 

 

 

आदर्श

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