Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रहो अब जो तुम बन के मेरे हमेशा

 

 

रहो अब जो तुम बन के मेरे हमेशा,
ये दिल जीस्त सब नाम तेरे हमेशा.....जीस्त = जिंदगी
मुझे रात भर जो दिलासे दिलाते,
वही सपने बिखरे सवेरे हमेशा...
कभी तुम भी सजदा ख़ुदा का जो कर लो,
तो गम कोई तुमको न घेरे हमेशा......
सियासत की दुनिया तो सबसे परे है,
वहां रहते सर्प औ सपेरे हमेशा....
कहा तब बुजुर्गों ने आदर्श हमेशा
की निंदक को रखियेगा नेरे हमेशा ...

 

 

आदर्श

 

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