“सुखमंगल सिंह व्यापक फलक के रचनाकार हैं “—————————————————–० कवि ,समीक्षक ,लेखक और मैं तो कहूँगा कि शोधकर्ता श्री सुखमंगल सिंह जी की आज एक पुस्तक – जागो कण -कण झांको देखा ,समझा |इसमें शोध परक लेख , कविताये ,समीक्षायें और फुटकर लेख विभिन्न विषयों पर संग्रहीत हैं | ० सुखमंगल जी ने कितना श्रम किया है ,कितने श्रमी हैं यह तो विभिन्न साइटों पर जाने के बाद आपको स्वयम जानकारीहो जाएगी| सुखमंगल जी को मैं व्यापक फलक का रचनाका र मानता हूँ|० अयोध्या,प्रयागऔर काशी सुखमंगल जी में समाहित है|साहित्य,संस्कृति और कला तीनों नजरिये एसई देखना फिरउस पर लिखना और लिखाना भी एसा कि उस लिखे हुए कोलोग अपने उदाहरण मेँ लेने लगें, यह रचनाकार की बड़ी उपलब्धि होती है | ० सुखमंगल जी को बहुत – बहुत बधाई ! अपना श्रम जारी रखें |
सुखमंगल जी इतिहास पुरुष बनने की ओर अग्रसर हैं | काफी हद तक वह सफर इन्होंने तय भी कर लिया है | ० मैं अपने रचनाकार लिए सुखमंगल जी से सीखता हूँ | मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है | आज इतना ही | आगे और लिखने की कोशिश करूँगा | आपका ही ,दिनांक – २४/०४/२०१८ हस्ताक्षर -अजीत श्रीवास्तव (‘अनछुये कवि धूमिल मैं रचनाकार ‘)शिव कृपा : कालीमहल -वाराणसी (उ ० प्र ० )मोबाइल -९१९८३०२३५०
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