हम रायरंगपुर से हैं आये,
आशाओं का पिटारा साथ में हैं लाये!
शायद कुछ दिनों का डेरा-बसेरा,
वादा जो वापसी का करके हैं आये!
दौलत-शोहरत मुबारक तुम्हीं को,
हम तो जीवन का सलीका, सीखने हैं आये!
रिश्ता प्रेम का, चाहो तो जोड़ लो,
डोर ईमान की, साथ में हैं लाये!
यूँ तो प्रेम-भाईचारा, सबकुछ पास,
तेरी मशहूरियत को देखने हैं आये!
इंसानियत-मानवता बिखरी जो है,
बस, तेरी व्यवस्था से सीखने हैं आये!
मेहनत-नमक हलाली से नाता है पुराना,
तेरी तरकीबों को समझने हैं आये !
जरुरत के मुताबिक जिंदगी बिताई हैं ,
ख्वाहिशों के मुताबिक बिताने हैं आये !
हम रहने वाले गाँवों के लोग हैं,
बिन बुलाये मेहमान बन करके जो आये !
ऐ शहर! कुछ हमको भी सिखा दे,
हम गाँव से वादा करके जो आये !
Akash Sharma
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