आधुनिक जीवन
जानते हैं?
माँ शिशु को जन्म देकर,
आया के हाथों में,
लालन पालन की बागडोर दे
निश्चिंत हो जाती है |
वर्तमान को!
जिन्हें वे देख सकती हैं,
संवार सकती हैं,
और उसके सहारे
अपने शिशु रूपी भविष्य को
बना सकती है |
उसे छोड़,
समझकर यह
कि चाँदी के कुछ सिक्के
बना देगें
उनके बच्चों का भविष्य
निकल पड़ते हैं,
उन्हीं सिक्कों को जुटाने |
खो देते हैं अपने बच्चों को,
अपने गोद से दूर,
किसी और कि गोद में रखकर,
चाहती हैं कि
वह एक अच्छा बच्चा बन जाएगा,
माँ के प्यार से दूर रहकर,
माँ को प्यार कर पाएगा,
पर यह है उसकी भूल |
स्वयं लालन पालन न कर सकी,
त्याग कि परिभाषा न जान सकी,
बच्चे के दिल में
प्यार कि खेती न कर सकी,
मातृत्व व ममत्व
कुछ भी न दे सकी,
माँ होकर भी
योग्य माँ न बन सकी |
आधुनिकता कि हद है
फिर भी इच्छा है,
तमन्ना है,
अभिलाषा है
कि उनका बच्चा,
एक सपूत बन जाए |
जिस रिश्ते को वह स्वयं न निभा सकी
वह रिश्ता कब तक निभ सकता है,
भला बबूल के पेड़ में,
आम कहाँ हो सकता है?
Alakh Sinha
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