हृदय की बातों को
बाहर चित्रित करने वाली,
एक का दूसरे को,
संदेश पहुँचाने वाली
लेखनी !
शक्तिशालिनी है,
पुज्यनिय है,
इसे सभी की संगति प्यारी है |
कमी लेखनी में नहीं है,
पर आज़ लेखनी बदनाम हो रही है
गिरवी रखी जा रही है
नंगी की जा रही है,
चन्द सिक्कों के लिए |
कलम कुछ भी लिख सकता है,
झूठ को झूठ रख सकता है
सत्य को सत्य बता सकता है
झूठ को सत्य भी बना सकता है
सत्य को झूठ में बदल सकता है |
कुसंगति में पड़कर,
लेखनी बेची जा रही है |
सत्य पर झूठ का लेप चढ़ाने वाले,
अपने आप पर गर्व कर रहें है,
लेखनी को अपनी बेशर्मी के लिए
सरे आम नीलाम कर रहे हैं |
लेखनी !
देश की शान है
सभ्यता की पहचान है,
संस्कृति का श्रृंगार है
माता के गोद की तरह प्यारी है,
कोमलता भरी सुखद छॉह है |
स्वयम् बिक कर,
नीलाम होकर,
अपनी इज़्ज़त खोकर भी,
इज़्ज़त ही दे रही है |
कब आएगी शर्म
उन लोगों को,
शक्ति का उपयोग
सत्य के लिए हीं,
कब वे करेगें
लेखनी की मर्यादा
अपने सिरोधार्य |
वह दिन महान होगा,
जब लेखनी की इज़्ज़त करना
हम सीख जाएगें |
लेखनी लेखनी की तरह पूजी जाएगी,
लेखनी लेखनी की तरह जानी जाएगी
न्याय के पलड़े पर भारी दिखेगी
दुनियाँ को इंसानियत का पैगाम देगी |
Alakh Sinha
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