बचपन में पाया प्यार तेरा
उतना जितना मैं लायक न था
इतराता रहा मटकता रहा
माँ! ममता तेरी समझ न सका |
दीदी यही समझती रही
तू प्यार मुझे हीं करती है
में फूला नहीं समाता रहा
माँ! करुणा तेरी समझ न सका |
मैं छोटा था और भोला था
अपने को अच्छा समझता था
इसीलिए, प्यार पाता था
माँ ! मृदुलता तेरी समझ न सका |
दीदी ताने सुनती थी
फिर भी आगे पढ़ती गयी
अपने कष्टों को सहती थी
पर पग पग आगे बदती गयी |
जैसे जैसे बदता गया
प्यार में और बिगड़ता गया
पापा की डाटें तू सहती रही
माँ ! सरलता तेरी समझ न सका |
जीवन के इस पड़ाव पे भी
पिछड़ा हूँ अपने बहना से
वह अधिकारी मै चपरासी
अति प्यार का यह परिणाम है माँ |
कौन कहता लड़कियाँ पीछे है?
हाँ, लड़के ज़रूर नीचे हैं,
बराबरी की तुला पे आज
लड़कियों से परिवार गौरवान्वित है |
Alakh Sinha
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY