Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उम्मीद

 

 

उनके आते ही जीवन मे ंकितने ही रंग भर जाएँ।
उड़ने लगे मन, कल्पनाओं को पंख मिल जाएँ।।


बारिशें आते ही ज्यों उजड़े हुए चमन में फिर बहार आ जाए।
चहुँ ओर फैले हरियाली, धरा को रंग मिल जाएँ।।


परिन्दों के आने से ज्यों अम्बर में चहल पहल हो जाएँ।
चहचहा जाये गगन, बिछ़डे़ हुए दिल मिल जाएँ।।


बादलों के छाते ही ज्यों नभ में हल-चल हो जाए।
मिट्टी दे सोंधी महक, आसमां में इन्द्रधनुष खिल जाए।।


चन्दा के पूरा होते ही ज्यों सागर में ज्वार आ जाए।
मचल उठें लहरें, साहिल से मिलने की तमन्ना पूरी हो जाए।।


उनके आते ही, मन में उमंगों का दरिया लहराए।
चंचल हो तन-मन दिल में मधुर मिलन की आस जग जाए।।


कब पूरे होते हैं सपने, आँख खुलते ही सब बिखर जाए।
यथार्थ की कड़वी धूप, सुनहले स्वप्न मन में ही जला जाए।।


जीना है बस जीने के लिए, अरमानों को टूटता देखने के लिए।
वो आएँगें इक दिन, बस यह उम्मीद काफी है जीवन काटने के लिए।।

 


अलका ‘अलमिका‘

 

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