Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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यादों का आशियाना

 

 

चलो कहीं दूर हम,
एक आशियाना बनायेगें ,
जिसमें अपनी खोई उन,
यादों को सजायेंगे l

 

वह भी क्या दौर था जब,
रेत का बनाया हमने घरोंदा ,
पर ठान लिया था लहरों ने ,
हम इसे बहायेंगे l

 

वक्त का पता न चला,
कैसे वह गुजर गया ,
एक दूसरे से अपनी ,
हम करते रहे शिकायतें l

 

उम्र के इस पड़ाव पर,
जिंदगी ठहर सी गई ,
आहिस्ते-आहिस्ते फिर हम,
मधुर गीत गुनगुनायेगें l

 

अब तो इस शहर से,
मन अपना है भर गया ,
चलो कहीं फ़ुरसत में,
हाले-दिल सुनायेंगें l

 

जानें कहाँ गुम हुई "अल्पी",
जहाँ की इस भींड़ में ,
बीते उन लम्हों को ,
दिल में फिर बसायेंगे l

 

चलो कहीं दूर हम,
एक आशियाना बनायेगें ,
जिसमे अपनी खोई उन,
यादों को सजायेंगे l l

 


..............''अल्पना मिश्रा ''

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