बरसात मेरी मेहबूबा
हर साल मुझसे मिलने आती है
मैँ रुठा रहता हूँ
वो मुझे मनाती है
बहुत आँसू बहाती है
गर्मी-ठण्डी के बीच
इसका दु:ख अपने चरम पर रहता है
वो बहुत ज्यादा रोती है
और इस दौरान
उसके आँसू
तबाही तक मचा देते हैँ
वो भंयकर बाढ का
कारण बनती है
सिर्फ मेरे कारण
मेरे प्रति उसके प्रेम के कारण
उसके चपेट से
मैँ भी नहीँ बच पाता
और मजबूर होकर
उसके साथ
उसके आँसुओं मेँ लिपट के
पी के, बहके
उसके साथ चला जाता हूँ
फिर वो
शांत हो जाती है
फिर गर्मी के बाद
किसी दूसरे आशिक के लिए रोती है
और फिर वही होता है
जो मेरे
और न जाने
कितनोँ के साथ हुआ है
बरसात मेरी मेहबूबा।
- अमन चाँदपुरी
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