Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बासी लकीरें

 

मेरी बचकानी उम्र में ही
हाथ की जिन लकीरों को पढ़कर
पंडित बाबा ने
मेरी भयानक कुंडली बनाई थी
बड़े होते ही मैनें
उन सभी बासी पड़ी लकीरों को
उतार फेंका
खुद नई-नई और ताजा लकीरें बनाने के लिए

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ