Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बस यही होता है

 

जब माँ की गर्भ से
हमारा आना होता है
इस संसार में
तो ऐसा नहीं
कि पूरी दुनिया बदल जाती है।

 

 

बस यही होता है
कि हमें जन्म देने वाली माँ को
बुढ़ापे के लिए एक लाठी मिल जाती है
वो एक पुत्रवधू का सपना देखने को
स्वतंत्र होती है।

 

 

हमारे जन्म से ही
पिता के दिल में दब चुका
हर सपना धीरे-धीरे आकार लेने लगता है
और
हमारे हाथों पूरा होने को
लालायित सा खड़ा होता है।

 

 

 

अमन चाँदपुरी

 

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