आओ
हम-तुम चले
तन की सारी पीड़ाएँ छोड़
मन की पीड़ा का
जबाब ढूढ़ने
तन की पीड़ा
ये मन सह लेगा
लेकिन,
मन की पीड़ा
असहनीय होती है
ये तन के बस की नहीं।
अमन चाँदपुरी
Powered by Froala Editor
आओ
हम-तुम चले
तन की सारी पीड़ाएँ छोड़
मन की पीड़ा का
जबाब ढूढ़ने
तन की पीड़ा
ये मन सह लेगा
लेकिन,
मन की पीड़ा
असहनीय होती है
ये तन के बस की नहीं।
अमन चाँदपुरी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY