Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सपना टूटा आँख में, नीद हुई अब दूर

 

 

सपना टूटा आँख में, नीद हुई अब दूर।
मन आतुर प्रिय मिलन को, बारिश से मजबूर।1।

 

गागर में सागर भरूँ, भरूँ सीप आकाश।
प्रभुवर ! ऐसा तू मुझे, दे मन में विश्वास।2।

 

रूप तुम्हारा देखकर, मन में उठा विचार।
यही कहीं तो है नहीं, परियों का संसार।3।

 

उमर बिता दी याद में, प्रियतम हैं परदेश।
निशदिन आते स्वप्न में, धरे काम का वेश।4।

 

खालीहांड़ी देख कर, बालक हुआ उदास।
लेकिन माँ से कह रहा, भूख लगी न प्यास।5।

 

ज्ञानी से ज्ञानी मिले, करें ज्ञान की बात।
ज्ञान और अज्ञान में, होती लातम लात।6।

 

षोडश वर्षी बालिका, खड़ी नदी के तीर।
प्रिय दर्शन की आस में, ठाढ़ी व्यग्र अधीर।7।

 

सोच रहा हूँ मैं प्रिये, लिए आँख में नीर।
क्यों यों मुझको पीर दी, बन मेरी तकदीर।8।

 

प्रियतम ! तेरी याद में, दिल मेरा बेचैन।
क्यों तुम दूर चले गए, तड़प रहे हैं नैन।9।

 

एक आँख में नीर है, एक आँख में पीर।
फिर भी तुम हो मारते, कटु शब्दों के तीर।10।

 

 

- अमन चाँदपुरी

 

 

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