क्या कभी सूर्य ने कहा है
मैँ रोशनी कैसे दुगाँ पूरे संसार को
क्या कभी एडीसन ने सोचा था
जिस बल्ब को किसी ने नहीं देखा
उसे मैँ कैसे बनाऊगाँ
क्या कभी गाँधी जी के मन में आया
मैं कैसे बिना हथियार या हिंसा के अंग्रेजोँ से भारत को मुक्त कराऊगाँ
सुबह की काली रात को चीरता हुआ
निकलता है सूर्य
एडिसन ने हजारोँ प्रयोग किये
तब जाकर कहीं बल्ब बना
गाँधी जी ने एक झटके में भारत को आजाद नहीं कराया
कईयोँ आन्दोलन हुए
इन सबको सफलता भेंट में या उपहार स्वरुप नहीं मिली
कठिन परिश्रम और निरन्तर प्रयास के बाद असफलता को भी मात देकर इन्होनें
सफलता का स्वाद चखा
इस दुनिया में हर साल करोड़ों लोग जन्म लेते हैं
ऐसे कर्म और विचार जिनके होते हैं
उन्हें ही सदियों तक याद किया जाता है
बाकियों का नाम तो साठ-सत्तर सालो बाद चार कंधों पर उठकर हवा में धूएँ की
भाँति उड जाता है
तुममें भी ये सारी शक्तियाँ हैं
तुम भी ऐसे महान कार्यों को अंजाम दे सकते हो
तुम्हें अपनी शुरुआती असफलताओं से डरना नहीं है
उसका डटकर सामना करना है
अगर धैर्य पूर्वक तुम ऐसा करते हो
तो तुम्हें सफल होने से स्वयं सफलता भी नहीं रोक सकती
शायद तुम महान भी बन सकते हो
और फिर एडीसन, गाँधी, लिंकन या सिकन्दर के साथ
तुम्हारा भी नाम लिया जायेगा
अगर तुम्हारे कर्म बड़े होगें
तो ये भी पीछे खड़े नजर आयेंगे
और तुम आगे, सबसे आगे।
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अमन चाँदपुरी
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