Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जैसे को तैसा

 

 

उसके जाने के बाद मुझे ये एहसास हुआ
मेरा दिल मेरा न रहा अब उसके पास हुआ
सोचता हूँ के इसमे ऐसा क्या खास हुआ
कितनों को दे चुका हूँ मेरा क्या लॉस हुआ
लेकिन अब की बार बात कुछ और निकली
दिल वास्तव मे खोया है इसका आभास हुआ
दिल मेरा अब तो पूरी तरह उसका दास हुआ
अब तक मै खुद को प्लेबॉय समझता था
कितनी लड़कियों के जज़्बात से उलझता था
कईयों के अरमान जले कितना उनको त्रास हुआ
सोच सोचकर मुझको शर्मिंदगी का एहसास हुआ
जिसने मेरा दिल लिया वो तो प्लेगर्ल निकली
न जाने कितनी बार जवानी मे वो थी फिसली
मेरी सारी उम्मीदों अरमानो का परिहास हुआ
क्या करूँ ये सोच के मै तो बदहवास हुआ
अपने कर्मो और पापों से ही सत्यानास हुआ
इस भंवर से निकलने का नहीं कोई चांस हुआ
उसके जाने के बाद मुझे ये एहसास हुआ
मेरा दिल मेरा न रहा अब उसके पास हुआ

 

 


अमरनाथ मूर्ती

 

 

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