Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नाराज

 

 

जिंदगी मे हर कोई है नाराज
नाराजगी के अलग अलग हैं अंदाज
कोई इसलिए है नाराज
कि कोई सुनता नहीं उसकी आवाज
या क्योंकि चलता नहीं है उसका राज
या क्योंकि अटका है उसका काम काज
या क्योंकि खुल गया है कोई खास राज
या क्योंकि न बन सका है वो सरताज
या फिरछिन गया है उसका ताज
या उसकी कद्र नहीं करता ये समाज
क्योंकि किस्मत पर गिरी उसके है गाज
या फिर ऐसा ही है उसका मिजाज

 

कोई इसलिए है नाराज
कि बास और बीवी के सुनने पड़े हैं कड़वे अलफाज
या बेटा नहीं आता अपनी हरकतों से बाज
या कोई अपना है उससे नाराज
खराब है पत्नी का मूड आज
किसी अपने की तबीयत है नासाज
क्योंकि प्रेयसी के हैं बदले अंदाज
लाउडस्पीकर की है कर्कश आवाज
क्योंकि नहीं खुल रहा उसका दराज
क्योंकि लेट है ट्रेन या हवाई जहाज
क्योंकि नेताओं को नही आती है लाज

 

क्योंकि दबाव डाले उस पर लोक लाज
निभाना पडता है अनचाहा रीति रिवाज
अनिच्छा से बनना पड़े मेहमान नवाज
क्योंकि साला तोड़े मुफ्त मे अनाज
करता नहीं है वो कोई काम काज
सूझता नहीं है जिसका कोई इलाज

 

माँ और पत्नी मे रोज होती है लड़ाई
क्योंकि माँ ने वक्त पर नही खाई दवाई
क्योंकि बेटे ने ठीक से नही की पढ़ाई
क्योंकि बीवी ने नही की घर की सफाई
क्योंकि काम वाली बाई समय पर नहीं आई
क्योंकि सहकर्मी ने की बॉस से लगाई बुझाई
क्योंकि मातहत ने काम मे बरती कोताही ...
क्योंकि उसकी पदोन्नति समय पर नही आई
ऐसी नाराजगियों का कोई अंत नहीं है भाई

 

नाराजगी के हों ऐसे अंदाज कि उस पर करें सब लोग नाज
गांधी थे नाराज अंग्रेजों के अत्याचार से
क़ौमी दंगो से होते मासूमो के नरसंहार से
कृष्ण हुए नाराज दुर्योधन के व्यवहार से
अन्ना हैं नाराज देश मे बढ़ते भ्रष्टाचार से
बाबा रामदेव हैं नाराज कालेधन के अंबार से
देश और समाज मे बढ़ते घोर अनाचार से
विदेशी वस्तुओं से लोगों के आकर्षण से
समाज के कुपरिवर्तन से बढ़ते कुपोषण से
दिन ब दिन होते नैतिक पतन से
रसातल मे जाते अपने प्यारे वतन से
कब तक हमारी नाराजगी स्वार्थ के दायरे मे होगी?
कब हम समाज और पर्यावरण के प्रदूषण पर होंगे नाराज?
कब हम भ्रूण हत्या और बेटी के शोषण पर होंगे नाराज?
जब तक ये नहीं होगा गैरसामाजिक तत्व नही आएँगे बाज
ठान लें हम सब ये आज
अब सुने बस दिल की आवाज
ऐसे मुद्दों पर भी हों नाराज
कि खुद पर कर सकें हम नाज

 


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अमरनाथ मूर्ती

 

 

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