Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पानी

 

 

प्यासे के लिए पानी अमृत से कम नहीं
गर्मी मे काली घटाएँ जन्नत से कम नहीं
तपती धूप मे इसकी फुहार राहत से कम नहीं
गर खेत मे बरस जाय तो बरकत से कम नहीं
गर मंदिर मे चढ़ाएँ तो मन्नत से कम नहीं
रेगिस्तान मे मिल जाये तो रहमत से कम नहीं
नींबू मे मिलाएँ तो शरबत से कम नहीं
गर जलप्रपात बन जाय तो ताकत(बिजली) से कम नहीं


लेकिन


मेहनत पर फिर जाय तो जहमत से कम नहीं
गरीबी मे आटा गीला कर जाय तो मनहूसियत से कम नहीं
गर शर्म मे डुबाजाय तो फजीहत से कम नहीं
सर पे चढ़ जाये तो बुरी किस्मत से कम नहीं
अनचाहे बरस जाय तो आफत से कम नहीं
सैलाब बन के आए तो अग्निपथ से कम नहीं
सड़कों मे भर जाय तो खस्ता हालत से कम नहीं
गावं में भर जाय तो मुसीबत से कम नहीं
घर में घुस जाय तो से शामत कम नहीं
औरफेफडों मे भर जाये से मरघट से कम नहीं


***


माना बेमौसम बरसात किसी को भी लगता अजीज नहीं
लेकिन सबका मैलधोकर भी पानी से स्वच्छ कोई चीज़ नहीं
बिन पानी के फल सकता कितना भी अच्छा बीज नहीं
बिन पानी के कोई भी भोजन बनता कभी लजीज नहीं
बिन इसके धुल सकती कोई सलवार या कमीज नहीं
इसको वापरने की आई हमको अब तक है तमीज नहीं
बिन पानी जीवन की कल्पना क्या कोई कर सकता है?
रंगहीनहोकर भी क्या कोई जीवन मे रंग भर सकता है?
जीवन की उत्पत्तिआखिर पानी से ही तो है हो पाई
अनियंत्रित उपयोग से मुश्किल हो जाएगी इसकी भरपाई
फिर भी इसकी कद्र की हमको अब तक समझ नहीं आई
दिन वो दूर नहीं जब होगी हर बूंद के लिए त्राहि त्राहि
अब भी वक्त है संभल जा मानवआगाह अभी से करता हूँ
कल को देर ना हो जाएइस बात से मैतो डरता हूँ
जब तक पानी है तभी तक जिंदगानी है


***

 


अमरनाथ मूर्ती

 

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