रंगबिरंगे आसमान का समंदर से मिलाप किस सौंदर्य से सजा है
उछलती बलखाती लहरों की अठखेलियों मे एक अलग ही मजा है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
उफनती नदियों के कटाव पर हरियाली की अपनी एक छटा है
पक्षियों के कलरव मे मन को सुकून दे ऐसा मधुर संगीत बजा है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
सफ़ेद बर्फीली पहाड़ियों से नीचे दूर तक फैली हुई काली घटा है
इंद्रधनुष के सात रंगों मे घुला दृष्य तो सौंदर्य की पराकाष्ठा है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
रेत के टीलों पे सरलता से सरपट दौड़ता ऊंट का काफिला है
कुदरत ने वाकई हर रचना को वातावरण के अनुकूल ही ढाला है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
समंदर की गहराईयों मे भी एक रंगबिरंगा संसार बसा है
तैरती, डूबती, उतराती रंगीन प्राणियों की असीमित श्रंखला है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
सीप का बेशकीमती मोती और अनगिनत जड़ीबूटियों का भंडार
अद्वितीय, अविश्वसनीय, अनगिनत, अमूल्य औषधियां अपार
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
घने वृक्षों के झुरमुट हैं डालों पर कूदते फाँदते बंदरों की टोली है
शेर की दहाड़, झींगुर की झंकार के बीच कोयल की सुरीली बोली है
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
ठंडी लालिमा लिए उभरते सूरज की आशा से परिपूर्ण भोर
ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से चट्टानों पर गिरते जलप्रपात का शोर
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
वो मधुछत्ता,कछुए का किले सा घर घोंघे का कवच सुंदर
जाला बुनती मकड़ी जैसे हो एक निपुण प्रशिक्षित बुनकर
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
दीमकों की बांबियां, पंक्ति मे मार्च करती चींटीयाँ
ज़ेबरा और चीते के शरीर पर चितकबरी धारियां
सूर्यमुखी के बीजों का सलीकेदार क्रम
शिल्पकार द्वारा कृत्रिम रचना का भ्रम
पंखड़ियों की करीने से की सजावट
कमल के फूल की विशिष्ट बनावट
जुगनू की टिमटिमाहट और जगमगाहट
मोर के पंखों मे इंद्रधनुष सी तरावट
तिनकों से बुने पक्षियों के सुंदर घोंसले
उनका धैर्य, उनकी लगन उनके हौसले
मरुस्थल मे मीठा रसीला तरबूज
मैदानो मे दूर दूर तक फैली दूब
संगमरमर की सफ़ेद चट्टानों की चकाचौंध
धरती मे ही स्वर्ग के प्रमाण का कराएं बोध
गणित के सिद्धांतों पर आधारित सौंदर्य से परिपूर्ण ये इष्टतम रचनाए
अकल्पनीय अचंभित सटीक डिजाईंन जो एक अनबूझी पहेली बन जाय
ऐसे अनूठे मनभावक दृष्य से बरबस ही यह ख्याल आता है
सच ही ईश्वर ने प्रकृति को फुरसत मे इत्मिनान से रचा है
अमरनाथ मूर्ती
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