ये कैसा बेतुका अनैतिक कर्म करते हैं
अपराधी बच जाये तो हम पर्व करते हैं
किस मुंह से देते हैं सीस्टम को दोष
आखिर पाते वही जो डिसर्व करते हैं
शराब के नशे मे बेघर को कुचले
मामला फिर 13 वर्षों तक टले
निचली अदालत मे सजा मिले
ऊंची अदालत नेचंद घंटों मे
रसूख के बल पर बदले फैसले
एक कार्यरत केंद्रीय मंत्री को
हाईकोर्ट ने था खूनी माना
आजीवन कारावास दे उसको
जेल किया था उसका ठिकाना
ऊपरी अदालत की बदौलत
यूं ही छूट गया वो बाईज्जत
मुख्यमंत्री को आय से अधिक
संपत्ति सँजोने का दोषी पाया
निचली अदालत ने सजा सुनाई
मच गयी चहुं ओर त्राहि त्राहि
ऐतिहासिक इस फैसले ने
जनता मे विश्वास जगाया
उच्च अदालत ने लेकिन
फैसले को गलत ठहराया
कोई ताकतवर, अपराधी होकरभी
कानून से बचे ये तो हो सकता है
निरपराधी होकर सजा पा जाये
सरासर असंभव सा ही लगता है
क्या निचली अदालतें सिर्फ नाम की हैं?
इनके फैसले बदलें तो किस काम की हैं
यदि कोई इमारत चरमरा के गिरे तो
बच के निकलने का अवसर होता है
इमारतवहीयदि भरभरा के गिरे तो
उसमे रहने वाला जान से हाथ धोता है
सीस्टम भरभराकेगिरती इक इमारत
गर गिर जाये तो समझो आई शामत
वक्त रहते हो इसकी सही मरम्मत
मिलेगीतभीतो प्रजातन्त्र को ताकत
अमरनाथ मूर्ती
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