चाँदनी रात मे तुम याद आती हो
हल्की बरसात मे तुम याद आती हो
गुजरे दिनो के उन सुनहरे पलों की
हर खयालात पर तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
पुराने दोस्तों से अक्सर जो होती
हर मुलाक़ात पेतुम याद आती हो
मेरे चेहरे की उदासी पर पूछे गए
हर सवालात पे तुम याद आती हो
हर इकबात पर तुम याद आती हो
हंसी लम्हों मे तुम याद आती हो
मीठे सपनों मे भी तुम याद आती हो
गैरों से सजी महफिल मे ही क्या
मेरे अपनों मे भी तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
हर पहर मे तुम याद आती हो
हर सफर मे तुम याद आती हो
दिल मे उफनते इस तूफान की
हर लहर मे तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
सुबह की लाली मे तुम याद आती हो
गोधूली की शाम मे तुम याद आती हो
मैखाने मे जाता हूं तुझे भुलाने को
हर इक जाम मे तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
हर गम हर खुशी मे तुम याद आती हो
हर खामोशी मदहोशी मे तुम याद आती हो
हर इक जज़्बात पे तुम याद आती हो
तन्हाई की हर रात मे तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
लाख जतन किए मैंने तुझे भुलाने के लिए
हर जतन पे तुम और भी याद आती हो
वो मोहल्ला वो शहर मैंने छोड़ दिया
अपनी पिछली यादों का मुख मोड दिया
ईश्वर की भक्ति से खुद को जोड़ दिया
सर को झुकाता हूं मै इबादत के लिए
आँख बंद करता हूं ध्यान लगाने के लिए
तुम मूरत बन बरबस ही सामने आ जाती हो
जेहन पर कुछ इस तरह छा जाती हो
न जाने क्यों तुम बहुत याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
तेरी यादों से जुड़े दरख़्त मैंने उखाड़ दिये
तेरे साथ बिताए पल झटक के झाड़ दिये
तेरी तस्वीर तेरे सारे खत मैंने फाड़ दिये
हर टुकड़े पर तुम फिर से उभर आती हो
पहले से और भी ज्यादा तुम याद आती हो
हर इक बात पर तुम याद आती हो
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अमरनाथ मूर्ती
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