Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तुम्हारी याद

 

 

चाँदनी रात मे तुम याद आती हो
हल्की बरसात मे तुम याद आती हो
गुजरे दिनो के उन सुनहरे पलों की
हर खयालात पर तुम याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

पुराने दोस्तों से अक्सर जो होती
हर मुलाक़ात पेतुम याद आती हो
मेरे चेहरे की उदासी पर पूछे गए
हर सवालात पे तुम याद आती हो


हर इकबात पर तुम याद आती हो

 

हंसी लम्हों मे तुम याद आती हो
मीठे सपनों मे भी तुम याद आती हो
गैरों से सजी महफिल मे ही क्या
मेरे अपनों मे भी तुम याद आती हो

 

हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

हर पहर मे तुम याद आती हो
हर सफर मे तुम याद आती हो
दिल मे उफनते इस तूफान की
हर लहर मे तुम याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

सुबह की लाली मे तुम याद आती हो
गोधूली की शाम मे तुम याद आती हो
मैखाने मे जाता हूं तुझे भुलाने को
हर इक जाम मे तुम याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

हर गम हर खुशी मे तुम याद आती हो
हर खामोशी मदहोशी मे तुम याद आती हो
हर इक जज़्बात पे तुम याद आती हो
तन्हाई की हर रात मे तुम याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

लाख जतन किए मैंने तुझे भुलाने के लिए
हर जतन पे तुम और भी याद आती हो
वो मोहल्ला वो शहर मैंने छोड़ दिया
अपनी पिछली यादों का मुख मोड दिया
ईश्वर की भक्ति से खुद को जोड़ दिया
सर को झुकाता हूं मै इबादत के लिए
आँख बंद करता हूं ध्यान लगाने के लिए
तुम मूरत बन बरबस ही सामने आ जाती हो
जेहन पर कुछ इस तरह छा जाती हो
न जाने क्यों तुम बहुत याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

तेरी यादों से जुड़े दरख़्त मैंने उखाड़ दिये
तेरे साथ बिताए पल झटक के झाड़ दिये
तेरी तस्वीर तेरे सारे खत मैंने फाड़ दिये
हर टुकड़े पर तुम फिर से उभर आती हो
पहले से और भी ज्यादा तुम याद आती हो


हर इक बात पर तुम याद आती हो

 

*** ***
अमरनाथ मूर्ती

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ