Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुमको तुम से मिला दूँ

 

तुमको तुम्ही से मिला दूँ
तेरे छिपे जज़्बात जगा दूँ
बार बार आके जो तुझे सताये
उन कड़वी यादों को भगा दूँ
तेरी डोलती कश्ती को
मै किनारे से लगा दूँ
जब्त किए हैं जो तूने
आँसू पल मे बहा दूँ
तेरी तन्हा जिंदगी को
खुशियों भरा जहां दूँ
दबी हुई भावनाओं को मै
आज एक नयी दिशा दूँ
उलझे रिश्तों की गुत्थी को
अपने प्यार से मै सुलझा दूँ
अंतहीन भावनाओं को मै
फिर से नया सिरा दूँ
सुलगते अरमानो को मै
आज थोड़ी सी हवा दूँ
तेरे टूटे दिल को मै
दर्दे दिल की दवा दूँ
लब पे आकर ठहर गए जो
उन लब्जों को कहला दूँ
बिखरी हुई आशाओं को
नए सिरे से सजा दूँ
तेरे होंठों को मै एक
प्यार का गीत नया दूँ
तेरी अंधेरी दुनिया को मै
इक रोशनी का दिया दूँ
दिल मे तुमको बसा लूँ
मायूस चेहरे को हंसा लूँ
तेरी राह मे कलियाँ सजा दूँ
तेरी चाह मे दिल को बिछा दूँ
सुकून जहां टिके तो पाये
तुझे ऐसा इक कंधा दू
तेरी घुटन भरी जिंदगी को
एक खुला आसमान दूँ
तेरे गमों की पोटली को
चुपके से मै चुरा लूँ
तेरे माथे की शिकन को
मै यूं मिनटों मे मिटा दूँ
तुमको तुम्ही से मिला दूँ
तेरे छिपे जज़्बात जगा दूँ
तुझको किसी की नजर ना लगे
तेरे तम्बू के बाहर पहरा दूँ
वक्त गर तेरा साथ न दे
उसकी धारा को मै पलटा दूँ

 

 

अमरनाथ मूर्ती

 

 

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