Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कभी सोचा भी न था

 


कभी सोचा न था कि दर्द बाँटें भी जायंगे
प्यार की राह में चुभते कांटे भी आयंगे
गलतफहमी में प्यार का इजहार कर बैठा
कभी सोचा न था मेरे हिस्से चांटे भी आयंगे
जिस किसी धंधे में हाथ डाला
दिन दूना रात चौगुना नफा पाया
प्यार के इस खेल में माना के नया हूँ अभीमै
कभी सोचा न था इस खेल में घाटे भी आयेंगे

 

माना के जिंदगी का तजुर्बा मुझे कम है
खुशहाल जिंदगी में न आया कभी गम है
कभी सोचा न था की
जीवन में ऐसे सन्नाटे भी आयेंगे

 

माना मै पहले प्यार से अन्जान सा ही था
मै तो खुद ही मे बदगुमान सा ही था
लैला मजनू की कहानीको
मैंने कभी अहमियत नहीं दी थी
रूहानीयत को भी मैंने कभी
कोई शख्सियत नहीं दी थी
सोचा न था कभी कि
मुझमे भी ऐसे जज़्बात आएंगे

 

मेरी हालत पे आसमान
घने बादल बरसाएगा
गम मे मेरे तड़पेगा
खुल के आसूं बहायेगा
कभी सोचा न था कि
मेरे ऐसे हालात आएंगे
कभी सोचा न था कि दर्द बाँटें भी जायंगे
प्यार की राह में चुभते कांटे भी आयंगे

 

 

अमरनाथ मूर्ती

 

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