Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शेर

 

रब तू अपना जलवा दे,

उन्की जिंदगी को नूर से साजा

दे, बस मेरे ज़िंदगी के ये दुआ

है मलिक, क्या मस्त को पधने वाली

के सपनो को हकीकत बन दे!


 


मंज़िलो से अपना दुरी ना जाना,

जाति के परधानियो से टूट ना जाना,

जब भी ज़ुरूरत हो ज़िन्दगी मुझे कैसी है की,

हम झींडा वह तु भुल न जाना।


 


वो है हाथ की और के हाथन में अजिब लगत है मोहसिन,

जिन हैथों की चोयोरियन तोती थी मेरे हाथोँ मेँ

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