Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ज़रा सा मुझसे क्या खफ़ा है वो

 

ज़रा सा मुझसे क्या खफ़ा है वो ..
लोग कहते है बेवफ़ा है वो ..

 

उसके दिल में मेरी उल्फ़ते ही बसती हैं ..
थोड़ा सा सबसे बस जुदा है वो ..

 

उसे हक़ है की जैसा चाहे वो शुलूक करे ..
किसी से खौफ़ क्यूँ ज़दा है वो ..

 

उसकी चाहत ही कहीं मेरी जान ना ले ले ..
मेरी साँसों में यूँ बसा है वो ..

 

उसको देखूं तो सर जाने क्यूँ झुक जाता है ..
हो ना हो अब मेरा खुदा है वो ..

 



- अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव

 

 

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ