Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एकाकीपन का राही हूँ

 

एकाकीपन का राही हूँ,
रेतीले पथ पर बहता हूँ..!
आंसू गर बोले तो बोले,
मैं कब तुझसे कुछ कहता हूँ...?

 

 

ख़ामोशी की चूनर ओढे,
सकुचाये से सपने मेरे..!!
क्यों पत्थर से द्रढ़ बैठे हैं,
अब तक थे जो अपने मेरे...??

 

 

Ambrish Pandey

 

 

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