"मंजीत भईया ! एक एडमिशन कराना था हो जायेगा ?
अबे पांडू ई तो अपन का रोज का काम है हो जयेगा , पर दो चालीस लगेंगे ..
पर भईया मेरा भी कुछ फायदा हो ...
कितना चाहीए तुझे ? 30 हज़ार !
चल तब दो सत्तर बता देना ...
ठीक है भईया कल मै पार्टी को भेजता हु ...
आप ही मंजीत है ?? जी मै ही हु ।
बेटा एक अड़मीश ..ननन् अरे नमस्ते चच्चा नमस्ते चाची बैठिए ...बैठिए ...बेटा तुम्हारी बड़ी कृपा है जो तुम हमारे बेटे का अड़मीशन करा रहे हो ...
अरे चच्चा हमहू तो यूपीये का हु ..हम काम नहीं आऊगा तो कौन आएगा ...बेटा तुम तो यूपी में इंजिनियरिंग की हालत जान ही रहे हो ..मै तो बहुत पढ़ा - लिखा हु नहीं ...बेटा ही बता रहा था ईहा बंगलोर में अच्छा पेस्मेंट होता है ....सोचा एक ही लड़का है .खूब अच्छे से पढ़ा कर इंजिनीयर बनाऊ ...सही सोचा आपने चच्चा ...इहा पढ़ेगा तो भविष्य में बहुत पैईसा कमाएगा ..अच्छा बेटा तुम का करते हो ...हम म म् ..हम भी यही से बीटेक करता हु अंतिम बरस में हु ...अच्छा अच्छा बहुत बढ़िया ! बहुत बढ़िया ! ...
अच्छा बेटा अब हम चलते है ...
ऊ आप का लड़का कहा है ??
उसे ज़रा जुख़ाम हो गया था इसीलिए होटल में ही रुक गया ...
बेटा ध्यान रखना ..अड़मीशन बाद फिर फ़ोन करूँगा ..जय राम जी की ...
जयराम !
3 दिन बाद
मंजीत -" अबे बेटा पांडू क्या हाल है "
झकास ! आप का बहुत बहुत धन्यवाद भईया आप की वजह से मेरा सपना पूरा हो गया ...क्या हो गया बे ...इ देखिये . आई फ़ोन ..उसी पैसे से लिया हु ..
मौज मार बेटा ...मौज ...मेरे साथ रहेगा तो यूही कमाई करेगा किसी और मालदार पार्टी का एडमिशन करना हो तो बताना ....ठीक भईया
अबे सुन ऊ लौंडा कहा है जिसका एडमिशन हुआ .....देख बेटा उसको अपनी कमाई के बारे में कुछ पता नहीं चलना चाहीये ....
पर उसे तो पता है ..
ढ़क्कन साले बता दिया तूने ? अरे नहीं -नहीं
फिर कैसे जान गया ...
अरे भईया ऊ लड़का तो मै ही हु ...
------अम्बुज सिंह
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