देखो नया साल आ रहा है ।
सूरज अपनी रश्मि में सुधा का सैलाब ला रहा है ,
देखो नया साल आ रहा है ।।
तरंगिणी ,सलिल से ,वसुंधरा ,व्योम से प्रमोद का प्रसाद आ रहा है ,
देखो नया साल आ रहा है ।।
उन्माद को ,नौराश्य को ,दरिद्रता के वास को ,काटने संताप को बन के तीर राम का भूपाल आ रहा है ।
देखो नया साल आ रहा है ।।
जोड़ने उन स्वप्न को जो विघ्न थे विराम थे ,यह बनके लौ शौर्य का, प्रताप आ रहा है ,
देखो नया साल आ रहा है ।।
यह प्रेम और उत्साह का ,उम्मीद और उल्लास का पैगाम ला रहा है ।
देखो नया साल आ रहा है ।।
कुरितीयों को तोड़ कर ,आडम्बरों को तोड़ कर ,सहिष्णुता -सम्मान और
शांति -सौहार्द का ।
यह केशरी के सर पे सरताज ला रहा है ।
देखो नया द्ववार आ रहा है ।
देखो नया साल आ रहा है ।।
......... अम्बुज सिंह
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