जिस जिस ने मोहब्बत में, अपने मेहबूब को खुदा कर दिया,
खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया।
फिर वही तन्हाई का आलम
फिर वही रंजो गम की राते,
ना जाने किस्मत हमसे क्यों रूठ जाती है
खुशियों के पास आते-आते.....।गुजर गए वो जमाने लेकिन
निशानिया अब भी बाकी है...
ईस दिल के किसी कोने में
तेरा आशियाना अब भी बाकी है....।
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