यह जिस्म तो किराये का घर है…
एक दिन खाली करना पड़ेगा…||
सांसे हो जाएँगी जब हमारी पूरी यहाँ …
रूह को तन से अलविदा कहना पड़ेगा…।।
वक्त नही है तो बच जायेगा गोली से भी
समय आने पर ठोकर से मरना पड़ेगा…||
मौत कोई रिश्वत लेती नही कभी…
सारी दौलत को छोंड़ के जाना पड़ेगा…||
ना डर यूँ धूल के जरा से एहसास से तू…
एक दिन सबको मिट्टी में मिलना पड़ेगा…||
सब याद करे दुनिया से जाने के बाद…
दूसरों के लिए भी थोडा जीना पड़ेगा…||
मत कर गुरुर किसी भी बात का ए दोस्त…
तेरा क्या है…क्या साथ लेके जाना पड़ेगा…||
इन हाथो से करोड़ो कमा ले भले तू यहाँ …
खाली हाथ आया खाली हाथ जाना पड़ेगा…||
ना भर यूँ जेबें अपनी बेईमानी की दौलत से…
कफ़न को बगैर जेब के ही ओढ़ना पड़ेगा…||
यह ना सोच तेरे बगैर कुछ नहीं होगा यहाँ ….
रोज़ यहाँ किसी को “आना” तो किसी को “जाना” पड़ेगा…||
Amit Bhagat
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