हिसाब कर लो
सुनो ...
ऐसा करो हिसाब कर लो
क्या हमें लेना है
क्या तुम्हे देना है
क्या बाकी है
ये लेन-देन अब बस करो
कई शिकायतें हैं
कई नाराज़गी हैं
वो ज़ज्बात, वो अहसास
अब बस करो
इसकी जरुरत होगी तुम्हे
बचा कर रखो ...
सुनो ..
ऐसा करो हिसाब कर लो
कई रातें हमने आँखों में ही काटी हैं
कई बातें हमने अपने दिल में ही रखीं हैं
अब ये शिकायतों का मौसम
ख़त्म होता दिख रहा
सहेज कर रखो सुनहरी यादों को
कम से कम वो तो अपनी है
उसमे किसी से कोई शिकायत नहीं
कोई गिला नहीं
कोई नाराज़गी नहीं
अच्छी है हमेशा रहेंगी ...
दिल के पास रहेंगी ...
सुनो ...
ऐसा करो अब हिसाब कर लो ....
धन्यवाद ।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY