बेटी-बेटा
नाती-पोता
दोस्त-यार
अपना-पराया
घर-परिवार
इन तमाम तरह की जिम्मेवारियों को देखने,
समझने-बुझने
समझाने-बुझाने से पहले ही
जिन्हें आमंत्रित कर लेता हो काल अपनी ओर
असमय
समय
जो किसी के वस में नहंी
जिसके आगे-पीछे कोई नहीं
जो किसी के लिये नहंी
जिसकी कोई सीमा नहीं
जिसका कोई आकार नहीं
कोई मुकम्मल पहचान नहीं
उठा ले जाता हो
बिना किसी सूचना के
किसी को भी
किसी भी क्षण
किसी भी स्थान से
बिना किसी पूर्वाग्रह के
माँ-बाप की नजरों से
बेटा-बेटी को
बेटा-बेटी की नजरों से माता-पिता,दादी-दादा को
पति की मौजूदगी में पत्नि को
सास की मौजूदगी में बहु को
बहु की नजरों से सास को
पूरे परिवार की मौजूदगी में किसी बच्चे को
जो नहीं देखता
धूप-छाँव
दिन-रात
अंधेरा-उजाला
गोरा-काला
एक आम आदमी की न्यूनतम आयु से पहले ही
छोड़ जाने को विवश कर देता हो जो
किसी को धरा-संसार
क्या कहेगें इसे
अकाल मृत्यु ही न ?
अमरेन्द्र सुमन
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