बेसुकूं बेकरार बीमार आदमी
बदसलूकी का रोज-रोज शिकार आदमी
रिश्तों की इबारत पर संगीनों का साया
छल घृणा विद्वेष का बाजार आदमी
उसूलों की छत से वजूदों की आत्महत्या
मनमाने जमाने में लाचार आदमी
बख्शीश में मिली हॅसी को मानता मंजिल
दो-धारी तलवार में शुमार आदमी
कफन के कपड़े पहन सियासत का ताना-बाना
ढूंढ़ रहा खुद का ही मजार आदमी
अमरेन्द्र सुमन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY