पोस्टर लगे दिवार का
नक्शा गया बदल
तुलसी का पत्ता झड़ा
घर हुआ दलदल
वर्षा, बादल और बारात का
नहीं कभी भी ठौर
आदत जब शैतान हुआ
आम में आए कब बौर ?
शबरी का जूठन संजीवनी
लक्ष्मण को लियो बचाय
मन - तन अब रैहन हुआ
ढ़ूढ़े कौन कब क्या उपाय
माटी खूब मूरत गढ़े
सूरत मचाए शोर
बगुला भगत दशों दिशा
मन में घुस आया चोर
राम - रहीम जब तक लड़ें
धरती रही उजाड़
वर्षा से आकाश बहे
देख हाड़ पिघला जाय
बरगद, पीपल अब नहीं
बनते बुढ- पुरान
जन्म लिया जिस शिशु ने कल
हो गया आज जवान
अमरेन्द्र सुमन
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