Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक हमसफर की याद में......................................

 

वे किस कदर हैं प्यार में, परेशां देखिये
एक हमसफर की चाह में, नादां देखिये
दिख गई क्या मुस्कुराती चाँदनी एक दिन
नाम उसकी ही जुवां पर सुबहो-शाम देखिये

 

वे किस कदर हैं प्यार में......................................
एक हमसफर की याद में......................................

 

सुलझे बड़े जनाब किन्तु, जज्बात देखिये
झुलस रहे जिस आग में,उसकी जात देखिये
एक चेहरा दिख गया क्या, मर-मिट गए हुजूर
रह गया इंसान की क्या, औकात देखिये

 

वे किस कदर हैं प्यार में.......................................
एक हमसफर की याद में......................................

 

एक मुहब्बत की खुशी में, छोड़ रहे अपनी जमीं
रास्ते अनजान फिर भी चाल की पहचान देखिये
थम गई मन की बैचेनी, देखकर मंजिल करीब
शर्तियाँ मिलने की सरकार, ख्वाब की दरकार देखिये

 

वे किस कदर हैं प्यार में.......................................
एक हमसफर की याद में......................................

 


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