Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गवाह

 

अदालत के कटघरे में खड़े गवाह को
दिलायी जा रही थी शपथ, कहिए
जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा
सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा
भगवान मालिक है आगे

 

गवाह ने तख्ती पर लिखा -पढ़ा
जो कुछ कहूँगा..............................
सच के सिवा.....................................

 

इस मुकदमें के अंतिम व एकमात्र
चश्मदीद गवाह के रुप में
आपका कलमबद्ध बयान साबित हो सकता है
मुजरिमों के विरुद्ध
कड़ी से कड़ी सजा का लम्बी अवधि निर्णय
जो कुछ कहना हो
सोंच समझ कर सही-सही कहेंगे
वचाव पक्ष के वकिल ने गवाह से कहा

 

अदालत को गुमराह करने की स्थिति में
मालूम रहे
भुगतनी पड़ सकती है उल्टी सजा आपको
बीत सकते हैं
जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष कैदखाने में
और मुजरिमों को किया जा सकता है
बाइज्जत रिहा

 

संभल कर बतलाइए
घटना कब कहाँ और कितने पहर घटित हुई थी ?

 

क्या घटना के वक्त आप मौजूद थे स्थल पर ?

 

यदि हाँ तो आपने क्या देखा ?

 

प्राथमिकी में दर्ज बयान के मुताबिक
एक साजिश के तहत की गई थी
मृतक की हत्या

 

बंधे थे दोनों हाथ पीछे की ओर

गंभीर चोटों के निशान शरीर के
विभिन्न हिस्सों में मौजूद थे

 

पहले लाठी से की गई पिटाई
कुल्हाड़ी से किया गया हमला
माथे के बीचों-बीच फिर बाद में

 

तड़प-तड़प कर मृतक ने जब तक दम नहीं तोड़ा
हमलावर डटे रहे स्थल पर पूरे वजूद के साथ

 

हमला में शामिल मुजरिमों की संख्या क्या थी ?

 

जानना चाहती है अदालत
तफसीस से सब कुछ
आपने जो देखा, सुना ,जाना व महसूस किया

 

अदालत चाहती है अवगत होना
कि अलग-अलग मुजरिमों ने
लिबास क्या पहन रखा था ?

 

उनकी कद-काठी कैसी थी ?

 

खूनी सा दिख रहे चेहरों के बीच
कहीं कोई निर्दोष तो नहीं था मौजूद ?

 

गवाह परेशान विचलित था
घूँट-घूँट कर पी रहे क्रोध के बीच
उसी स्थल पर वह कर देना चाहता था
दूध का दूध और पानी का पानी

 

जिस व्यक्ति की हत्या की गई
सगा भाई था वह उसका

 

क्या-क्या बतलाए वह अदालत को
यहि कि उसकी एकमात्र गलती यहि थी कि
एक सवर्ण लड़की को चाहा था उसने
कि यह कि लड़की ने
पूरे समाज के बीच यह स्वीकार कर लिया ताउम्र
मृतक की जीवन संगिनी बनकर रहेगी

 

कि धर्म-जाति ,उॅंच-नीच की संकीर्णता से अलग
मृतक चाहता था एक नयी दुनिया बसाना

 

बचाव पक्ष के वकिल ने
चुप्पी ओढ़े गवाह से अगला सवाल किया
सच या झूठ
आपका जो ख्याल है,बताना ही होगा

 

आपकी चुप्पी
अदालत की अवमानना समझी जाएगी

 

गवाह फिर भी चूप रहा

 

देखिये , इस तरह मौन खड़ा रहना
अदालत के लिये
संदेह की स्थिति पैदा कर सकता है ?

 

क्या यह मान लिया जाय
प्राथमिकी में दर्ज आपका बयान झूठा है ?

 

कि मुजरिमों के विरुद्ध
लगाए गए इल्जामात
विद्वेष की भावना से पूर्ण हैं ?



कि एक घिसी-पिटी कहानी गढ़
उनकी जिन्दगी से खिलवाड़ किया जा रहा ?

 

गवाह कुछ कहने की स्थिति में तैयार हुआ ही था कि
चुपके से उसकी हाथों में किसी ने
एक पर्ची थमा दी
सावधान !
जो भी कहना तौल कर कहना
अन्यथा..........................................

 

अदालत में बैठी माँ-बहनों को
निहारता रहा एक टक वह
जुवां फिसली कि सब कुछ
समाप्त हो जाएगा कुछ ही पलों के अन्तराल में

 

एक दलित होने की पीड़ा से
उबर नहीं पा रहा था वह
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अमरेन्द्र सुमन

 

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