अमरेन्द्र सुमन
बहुत हद तक मर्द होते हैं लापरवाह
नियमित की दिनचर्या से
सुकुमार मुस्कुराहटों में छिपी मनोदशा से
एक पक्षीय कार्यों के लगन से
पत्नी के रुप में किसी औरत के घर आने के पूर्व तक
तमाम विकल्पों के शीर्ष तक की योग्यता के बावजूद
खर्च करता है वह अपनी उम्र का अधिकांश वक्त
अपने आधिपत्य की एक स्थिर दुनिया बसाने
चाहता है दोस्तों के बहकावे में भटकने की खुली आजादी
दिवारों पर टंगे पारदर्शी तस्वीरों की नग्नता के साथ
लगातार संभोग
कितना महत्वपूर्ण है मर्दों के लिये
उनकी पूरी उम्र की किताब में
बोलती तस्वीर की तरह एक औरत की स्थायी उपस्थिति
बिस्तर की ओट में
जहाँ पूरी की पूरी रात
पति के आने के इन्तजार में
मोमबत्ती की तरह पिघलना
उसकी आदतों में शुमार एक हिस्सा है
अगली सुबह के लिये राशन-पानी का जुगाड़
फटेहाल में पूरे घर को बहलाए रखने की गैर तकनीक पढ़ाई
पूरे घर की प्रचुर प्रतिष्ठा में छिपी होती है
सामान्य सी दिखने वाली एक औरत
वार्षिक आय सी उसकी हॅंसी
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