वह मेरे लिये उतना ही महत्वपूर्ण है
पौधों के लिये हवा पानी प्रकाश
नींद के लिये तीसरे पहर का स्वप्न
जद्दो-जहद् में थका-उदास होता हूँ जब
मिट्टी के शरीर की संतुष्टि स्थानान्तरित
होती है मुझमें
देती है भर एक परिपक्व उत्साह
आगत समस्याओं से जूझने
सहेजना चाहता हूँ उसकी हिदायतें
पहली मुलाकात से इस पल के पूर्व तक की
जो उसने दिये मुझे समय-असमय
कर लेना चाहता हूँ कैद आँखों के पिटारे में
उसके स्पर्श से मिली उर्जा को
संक्रमणकाल में ढाल के रुप में व्यवहार हेतु
और भी बहुत सी चीजें हजम कर
लेना चाहता हूँ उसकी
जिसे पाने की तकलीफों से चुराता रहा जी
बुरी तरह से चिपक जाने का आत्मीय सुख
एक शरीर से जुड़े रहने की व्यवस्था
औरत के उदार संस्कारों की तस्वीरें
अमरेन्द्र सुमन
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